कोरोना वायरस की वजह से दिल्ली में सभी प्राइमरी स्कूलों को एहतियातन 31 मार्च तक बंद कर दिया गया है। यह हाल सिर्फ दिल्ली का नहीं है बल्कि दुनियाभर में बच्चे कोरोना के खौफ से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। कोरोना वायरस से दुनियाभर में 80 से ज्यादा देश प्रभावित हैं। इस वजह से तमाम जगहों पर आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। इटली में सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया है जबकि कई जगहों पर स्कूल खुले तो हैं लेकिन खौफ की वजह से बच्चे नहीं जा रहे। आलम यह है कि दुनियाभर में करीब 30 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
कुछ हफ्ते पहले तक तो सिर्फ चीन इकलौता देश था जिसने स्कूल, कॉलेजों को बंद किया था। बाद में जैसे-जैसे यह खतरनाक वायरस तेजी से दूसरे देशों में फैलता गया, हालत गंभीर होती गई। बुधवार तक 3 महाद्वीपों के 22 देशों ने स्कूलों को बंद करने का ऐलान किया था। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि संयुक्त राष्ट्र को कहना पड़ा कि जिस तेजी और जिस बड़े पैमाने पर शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हुई है, यह अभूतपूर्व है।
देश की राजधानी दिल्ली के स्कूलों के अलावा दक्षिण कोरिया, ईरान, जापान, फ्रांस, पाकिस्तान, अमेरिका और कई दूसरे देशों में स्कूल बंद हैं। कुछ जगहों पर सिर्फ कुछ दिनों के लिए बंद हैं तो कहीं हफ्तों के लिए बंद हैं। इटली ने बुधवार को आधिकारिक तौर पर कहा कि वह देश के उत्तरी हिस्से के अलावा पूरे देश में स्कूलों को बंद कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि सभी स्कूल और यूनिवर्सिटी 15 मार्च तक बंद रहेंगे।
जिस तेजी और पैमाने पर शैक्षणिक गतिविधियां चरमराई हैं उसके मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र को कहना पड़ा कि आधुनिक इतिहास में इस तरह का शैक्षणिक उथल-पुथल नहीं दिखा है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ स्कूली बच्चे ही प्रभावित हुए हैं, कॉलेज स्टूडेंट्स भी प्रभावित हुए हैं। कुछ देशों में कॉलेज में ऐडमिशन के एग्जाम की तैयारी कर रहे छात्रों को महत्वपूर्ण स्टडी सेशंस से वंचित होना पड़ा है। वहीं, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है और उनके सत्र के बर्बाद होने तक की आशंका गहरा रही है। पैरंट्स का रोजगार छिन गया है और वे जीविका की जद्दोजहद में लगे हैं। कुछ पैरंट्स ने अपने बच्चों को नए स्कूलों में शिफ्ट कर दिया है, जिस इलाके में कोरोना का कहर नहीं है। कॉलेजों में ग्रेजुएशन सेरिमनी या स्कूल के आखिरी दिन जैसे यादगार समारोहों से छात्रों को वंचित होना पड़ रहा है।
वॉशिंगटन में पिटरसन इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनैशनल इकनॉमिक्स के सीनियर फेलो जैकब कर्केगार्ड ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया, ‘मुझें नहीं लगता कि आधुनिक इतिहास में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण है जब विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों को इतने लंबे वक्त तक स्कूलों को बंद करना पड़ा है।’